
संजय सागर बांध की मुख्य नहर फूटी: सैकड़ों किसानों की फसलें प्रभावित
विदिशा, शमशाबाद: विदिशा जिले के शमशाबाद के पास स्थित संजय सागर बांध की मुख्य नहर ग्राम धतूरिया के पुरा गांव के पास फूटने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। यह नहर 12 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का मुख्य साधन है। नहर का पानी तेज बहाव के साथ पास के खेतों में भर गया, जिससे सैकड़ों किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं।
कैसे हुआ हादसा?
सूत्रों के अनुसार, धतूरिया गांव के पास मुख्य नहर के एक्वाडक्ट के नीचे की मिट्टी धंस गई, जिससे नहर में बड़ी दरार आ गई। इस दरार के कारण नहर का पानी नाले में बहने लगा और आसपास के खेतों में फैल गया। पानी के तेज बहाव ने फसलों को पूरी तरह से नुकसान पहुंचाया। जब परियोजना के अधिकारियों को इस घटना की जानकारी मिली, तो नहर को तुरंत बंद कराया गया।
सिंचाई पर गहरा असर
नहर के बंद होने से नहर से जुड़ी कई गांवों की सिंचाई व्यवस्था ठप हो गई है। इनमें धोबीखेड़ा, रानी खजूरी, पट्टन, खेजड़ा, पिपलधार, अमरपुरा, भैरोबाग, चोमड़ी, कराखेड़ी, नथनपुर, बंधिया पीपरी, गोरियाखेड़ा, रिनिया, सिरसी, मूडरा, गोपालपुर, सेऊ, रावन, खाईखेड़ा, बम्हौरी, और नटेरन जैसे गांव शामिल हैं। इन गांवों के किसान अब सिंचाई के वैकल्पिक साधनों की तलाश में हैं।
फसलों का नुकसान और किसान की परेशानी
धतूरिया और आसपास के क्षेत्रों में पानी के खेतों में भरने से मुख्य रूप से गेहूं, चना, और सरसों की फसल को भारी नुकसान हुआ है। किसान इस समय अपनी फसलों की कटाई की तैयारी कर रहे थे, लेकिन नहर फूटने से उनकी मेहनत पर पानी फिर गया।
मरम्मत कार्य शुरू, लेकिन कब बहाल होगा पानी?
नहर की मरम्मत के लिए तुरंत कदम उठाए गए हैं। अधिकारियों के अनुसार, नहर को ठीक करने में कुछ दिन लग सकते हैं। तब तक नहर में जल प्रवाह पूरी तरह बंद रहेगा, जिससे सिंचाई पर निर्भर किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
किसानों की मांग
किसानों ने इस घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि समय रहते मरम्मत कार्य किया गया होता तो यह घटना नहीं होती। किसानों ने फसल नुकसान के लिए मुआवजे की भी मांग की है।
प्रशासन का कदम
प्रशासन ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। संबंधित अधिकारियों का कहना है कि किसानों को उचित सहायता और मुआवजा प्रदान करने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।
संजय सागर बांध की यह घटना एक बार फिर से सिंचाई व्यवस्था की खामियों को उजागर करती है। किसानों को राहत और समस्या का स्थायी समाधान दिलाना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है।